Wednesday, January 10, 2018

चौकनी असीमा का स्मार्ट मोबाईल


Thursday, January 11, 2018
10:35 AM


-इंदु बाला सिंह

असीमा , स्वस्थ , प्लस टू में पढ़नेवाली लड़की थी |  कुछ महीनों से उसे हर सप्ताह हल्का फुल्का बुखार होता था फिर ठीक हो जाता था |
उसका मन किसी काम में न लगता था | पढाई में वह हमेशा अव्वल रहती थी वह अपनी  कक्षा में |  घर में भाई , बहन असीमा को आलसी लड़की कहते थे |  उसका घर अमीर था | अपने माता पिता की वह लाड़ली थी |

इस बार उसे जब बुखार हुआ तो रविवार का दिन था | असीमा ने सोंचा - ' क्यों न डाक्टर को दिखाऊं खुद को | वैसे भी आज इतवार है स्कूल नागा भी नहीं होगा | '

घर के नौकर के साथ असीमा अस्पताल गयी | डाक्टर ने उसका ब्लड चेक अप के बाद ही कोई दवा लिखने को कहा | ब्लड रिपोर्ट में असीमा के खून में व्हाइट ब्लड सेल अधिकता में पाये गये |
डाक्टर ने दवा लिख दिया |
असीमा ने दवा तो खाना शुरू कर दिया पर वह गूगल में व्हाइट ब्लड सेल की अधिकता से होने से बीमारी की खोज करने लगी |
न जाने क्यों असीमा को लगा उसे ब्लड कैंसर हो सकता है |
उसने सुना था उसके एक परिचित एक महीने के बुखार में ही ब्लड कैसर की बीमारी से चल बसे थे |
असीमा ने अपनी चिंता अपने माता पिता को बताई | पिता असीमा की चिंता सुन चौंक पड़े | उन्होंने अपनी बेटी कहा - तुम्हें ऐसा लगता है तो हम बम्बई के कैंसर अस्पताल में तुम्हारा चेक अप करवाएंगे |

अपने माता पिता के साथ असीमा बम्बई पहुंची | असीमा को अस्पताल में भरती कर डाक्टर ने विभिन्न विभिन्न टेस्ट किया |
असीमा को ब्लड कैंसर था |
डाक्टर ने असीमा के माता पिता को आश्वासन दिया - चिंता न करें | आपकी बेटी ठीक हो जायेगी | आपलोग एकदम ठीक समय पर अस्पताल पहुंचे हैं |
असीमा के माता पिता छ: महीने बम्बई में रह कर इलाज करवाये बेटी का |
स्वस्थ हो कर  लौटी असीमा लौटी अपने घर |

चौकनी असीमा की जान उसके स्मार्ट मोबाईल ने बचाई  

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