- इंदु बाला सिंह
' टीचर ! मैं आपकी फीस कल ला दूंगी । कल मेरा आख़िरी दिन है न ट्यूशन में । '
तीसरी कक्षा से उसके पास ट्यूशन पढ़ती आयी यह छात्रा अपने मुहल्ले और कक्षा के चारों सेक्शन में गणित में सबसे ज्यादा नंबर रखनेवाली सबकी ईर्ष्या की पात्र थी ।
केवल तीन दिन पढ़ी थी वह दसवीं की छात्रा इस महीने ट्यूशन में ।
चौंक पड़ी शिक्षिका ।
' कितना फीस दोगी तुम मुझे ? '
' आधे महीने की फीस ।' - कुछ सोंच कर खा छात्रा ने ।
तिपहियावाले अभिभावकों से छुट्टियों के भी पूरे पैसे लेते थे ।
' नहीं । मैं तीन दिन के पैसे नहीं लुंगी । मैं तो वैसे भी दसवीं कक्षा के छात्रों से आख़िरी महीने की फीस नहीं लेती । अच्छे नंबर लाना बोर्ड की परीक्षा में । ' शिक्षिका ने मुस्कुरा कर कहा ।
' टीचर ! मेरी मम्मी बोलती है पढ़ कर पैसा नहीं देना गलत बात है । '
टीचर का मन भींग गया ।
' तुम बोर्ड एक्जाम का रिजल्ट निकलने पर मुझे मिठाई खिला देना । '
' ठीक है । रिजल्ट निकलने के बाद मैं आपको ढेर सी मिठाई उपहार में दूंगी । '
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