-इंदु बाला सिंह
एक जंगल में एक साधू रहता था ।
साधू अपनी अपनी कुटिया में मनन चिंतन में लीन रहता था ।
एक दिन जब साधू समाधिस्थ था तब एक चूहा साधू के शरीर पर उपर नीचे होने लगा ।
साधू की समाधि टूट गयी ।
' क्या बात है ? तुम्हे क्या चाहिये ? ' - वे चूहे को देख हंस कर बोले ।
' महात्मन् ! मैं बहुत छोटा हूं । मुझे बिल्ली से बड़ा डर लगता है । आप मुझे बिल्ली बना दीजिये । ' चूहे ने हाथ जोड़ कर कहा ।
साधु ने कहा -
' तथास्तु '
और पल भर में चूहा बिल्ली बन गया ।
कुछ दिन बाद बिल्ली बना चूहा फिर साधु के सामने हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया -
' महात्मन् ! जंगल में शेर सबसे शक्तिशाली है और मुझे शेर से डर लगता है । कृपा कर के आप मुझे शेर बना दीजिये । '
साधू मन ही मन मुस्काये फिर उन्होंने कहा -
' तथास्तु '
पल भर में चूहा शेर बन गया और दहाड़ते हुये साधू की कुटिया से चला गया ।
बहुत दिनों के बाद एक बार साधू जंगल से शहर की और जा था तभी राह में उसे चूहे से बना शेर मिल गया ।
साधू को देख शेर दहाड़ा बोला -
'आज मुझे बहुत भूख लगी है मैं तुझे खाऊंगा । '
चूहे की अकृतज्ञता देख साधू बहुत दुखी हुआ ।
' जा..... तू पुनः चूहा बन जा । ' - कहते हुये साधू ने शेर पर अपने कमंडल का जल छिड़क दिया ।
पल भर में शेर चूहा बन गया ।
और झाड़ियों छिपी बिल्ली अचंभित चूहे को चट कर गई ।
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