Sunday, November 29, 2015

पुरानी आंटी और याद



-इंदु बाला सिंह


आज मेरे घर आयी थी मेरी एक पुरानी आंटी ( फ्रेंड आंटी ,दीदी कुछ भी कह  भी सकते हैं ) ।

' क्या करती है तुम दिन भर आती नहीं मेरे घर । क्या करती हो तुम दिन भर ? '

' ऐसे ही  , थोड़ा बहुत लिखा करती हूं । कहानी वैगरह । '

आंटी जी ने बड़ी बड़ी आँख कर मेरा चेहरा देखा । फिर बोली -

' तुम तो नाटक लिखी थी न । हम लेडीज लोग नाटक किये थे । '

मैं चौंक गयी । फिर याद आया -

कालेज डेज में मैंने लिख  के दिया था उन्हें एक  नाटक  क्लब में एक्ट करने के लिये ।




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