21
October 2015
22:31
एक
दिन राजा रूप राय अपने मत्री के साथ अपने बाग में सबेरे सबेरे भ्रमण कर रहे
थे | एकाएक उनके मन में एक प्रश्न कौंधा -
' संसार में
सबसे शक्तिशाली अस्त्र कौन सा है ? '
राजा ने अपने
मंत्री से अपने मन में उठे प्रश्न का उत्तर जानना चाहा |
प्रश्न सुन कर
मंत्री सोंचने लगा -
' तलवार ,
बरछा , भाला सभी अस्त्र अपने अपने स्थान पर शक्तिशाली हैं | कोई अस्त्र तो किसी से
कम नहीं | '
मंत्री को
राजा के प्रश्न का कोई उत्तर न सुझा |
हार कर मंत्री
ने कहा -
' राजन ! मुझे
आपके प्रश्न का उत्तर पता करने के लिये थोड़ा समय दीजिये | '
राजा ने कहा -
' ठीक है |
मैं तुम्हें सोंचने के लिये पन्द्रह दिन का समय देता हूं | '
अब मंत्री
परेशान था | एक एक दिन बीत रहे थे पर उत्तर न मिल रहा था मंत्री को राजा के प्रश्न
का |
एक दिन सुबह
सुबह मंत्री नदी में नहा कर अपने लोटे से सूर्य देवता को जल चढ़ाया और लौट रहा था
तभी राह में हल्ला हुआ -
' भागो ! भागो
! '
मंत्री ने
पीछे मुड़ कर देखा कि सब इधर उधर भाग रहे हैं और एक सांड उनकी ओर दौड़ता हुआ चला आ
रहा है |
सांड मत्री के
नजदीक पहुंच चूका था |
मंत्री ने समझ
लिया कि अगर वह भागेगा तो भी सांड से बच न सकेगा इसलिये वह अपने ही स्थान पर खड़ा
रहा | ज्यों ही सांड उसके पास पहुंचा उसने पूरी ताकत से अपने हाथ का लोटा सांड के
माथे पर दे मारा |
सांड बौखला कर
पीछे हटा और मंत्री उस स्थान से सरपट भागा |
मंत्री को
राजा के प्रश्न का उत्तर मिल गया था |
दुसरे दिन
मंत्री राजा के दरबार में पहुंचा और राजा से कहा -
' राजन ! सबसे
शक्तिशाली अस्त्र ' साहस ' है | '
मत्री ने राजा
को अपनी सुबहवाली घटना सुनाई और कहा कि ' साहस ' के कारण ही वह सांड से भिड़ सका था
|
राजा रूप राय
अपने मंत्री के उत्तर से खुश हुये |
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