Friday, October 2, 2015

अकेली औरत


02 October 2015
23:40


-इंदु बाला सिंह

हंस कर कहा इंजीनियर की पत्नी सोना ने अपनी कामवाली से -

' माँ बेटी को अलग अलग कार्ड दे देना अपनी बेटी की शादी में तुम | मैंने तो नहीं बुलाया था बेटी को अपने घर के फंक्शन में | केवल माँ को ही बुलाया था |'

अपमान से मुंह काला हो गया था स्निग्धा  का मुंह सुन कर प्रथम तल से आती किरायेदार की आवाज |

स्निग्धा ने सकपका के अपनी चालीस वर्षीया बेटी का मुंह देखा |

उसकी चालीस वर्षीया बेटी आफिस से लौट कर चाय पी रही थी |

माँ ने अपने मकान में अपनी बेटी स्निग्धा को रहने के लिये एक कमरा दे कर मुक्ति पायी थी |

चार बच्चों की माँ के दुखो को बांटनेवाला कोई न था | जनूनी की तरह पैसा कमाना जाना था स्निग्धा ने |


और स्निग्धा अब अपनी धनाढ्य माँ के गले हड्डी बन गयी  थी |

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