Friday, December 12, 2014

गणित समझ ही नहीं आता टीचर


12 December 2014
14:58

-इंदु बाला सिंह


' कितना बोल रही हूं तुमको समझ नहीं आ रहा है |...इधर मैं ब्लैकबोर्ड पर प्रश्न हल कर के समझा रही हूं उधर तुम खाली बात करते जा रहे हो .... तुम सोंचते हो मुझे पता नहीं चलता है ...हां ..हां ...तुम नीलेश ... निकलो क्लास से बाहर ... ' सुलभा ब्लैकबोर्ड पर गणित हल करना बंद कर के चीखी |

पूरी कक्षा चुप | नीलेश अपनी स्थान से टस से मस न हुआ |

सुलभा का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया |

' तुम निकलते हो कि आऊं मैं ! '

धमकी सुन कर नीलेश तनतना कर उठा और कक्षा के बाहर जा कर धड़ से कक्षा का दरवाजा बंद कर के कुंडा लगा दिया | कुढ़ गयी सुलभा पर अनसुनी व अनदेखी कर ब्लैकबोर्ड पर गणित का हल करने लगी |

सिरदर्द था उसके लिये यह नवम क्लास | वैसे जब से पिटाई की मनाही हो गयी थी हर कक्षा के छात्र उदंड हो गये थे | स्कूल में घुसो तो छात्रों को अनुशासन में रखना और उन्हें पढ़ाना रोज का एक युद्ध ही था उसके लिये | केवल सुलभा ही नहीं हर शिक्षक इस समस्या से पीड़ित था |

प्रिंसिपल के पास गयी  नीता  ने   क्लास के  दरवाजे का कुंडा खोल कर ज्यों ही   कक्षा में प्रवेश करने की अनुमति मांगी भन्नाती हुयी सुलभा बाहर निकली दरवाजे से -

' नीता ! अंदर जाओ तुम | ' आदेश दिया उसने और पलटी नीलेश की ओर-

' नीलेश ! तुमने दरवाजे का कुंडा लगा दिया था ! '

' नहीं टीचर | '

' झूठ बोलते हो ! '

' गणित में तो तुम दस से भी कम नम्बर लाते हो  तुम फिजिक्स में भी कम नम्बर लाते हो ..कैसे पास करोगे तुम !.... लगाऊं फोन तुम्हारे पापा को ! '

तीर काम कर गया |

डर गया नीलेश |

' अरे ! नहीं टीचर ...माफ़ कर दीजिये ...और कभी नहीं करूंगा .... क्या करूं टीचर ! गणित समझ में ही नहीं आता टीचर .... ' घिघियाने लगा नीलेश और सुलभा खूब समझ रही थे यह नौटंकी |

गणित हिस्ट्री तो था नहीं कि रट ले कोई और पास कर ले | निचली कक्षा में कमजोर तो बड़ी मेहनत करनी पड़ती है उपरी कक्षा में | फिर आजकल बच्चे , न तो शिक्षक से डरते हैं और न ही स्कूल के प्रिंसिपल से डरते हैं . वे खाली अपने पापा से डरते हैं | यह बात सुलभा अनुभव कर चुकी थी | आखिर स्कूल का फीस तो पापा ही  देते हैं न |


' अच्छा चलो क्लास में बैठो | ' सुलभा ने नीलेश  को आदेश दिया और वह जानती थी कल फिर कोई नई शैतानी करेगा यह लड़का |

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