30
November 2014
20:55
-इंदु बाला
सिंह
एक
बार एक ग्वाला ने शाम को बाल्टी में दूध दूहा और अपनी दूध से भरी दोनों ही बाल्टी
को खटाल में रख के भूल गया |
दो मेढ़क कहीं
से कूदते कूदते आये और उन बाल्टियों में गिर पड़े |
पहली बाल्टी का मेढ़क डर गया | वह सोंचा अभी तो रात
है और ग्वाला तो सुबह ही आयेगा | वह तो अब बच नहीं सकता | कुछ घंटों में वह मेढ़क
मर गया |
दूसरी बाल्टी
का मेढ़क जब गिरा दूध में तो बड़ा परेशान हुआ | उसने सोंचा ग्वाला तो रात में आयेगा
नहीं कि उसे दूध से बाहर निकल फेंकेगा | उसने सोंचा कि डरना क्या जब तक है जान
तैरता रहुंगा | और रात भर वह मेढ़क अपनी पूरी ताकत लगाकर तैरता रहा | कुछ ही घंटों
में दूध से मक्खन निकल आया | अब मेढ़क कूद कर उस मक्खन पर बैठ गया | फिर उसने एक
जोरदार छलांग लगायी और वह दूध की बाल्टी के बाहर निकल आया |
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