Friday, October 31, 2014

प्रधानमत्री को गोली लगी


31 October 2014
19:49
-इंदु बाला सिंह

उस दिन अध्यापिका प्रीति ने स्कूल से लौट कर अभी घर में पहला कदम रखा ही था कि उसके पिता ने खा था उससे  - इंदिरा गांधी को किसी ने गोली मार दी है |

दिन के दो बजे यह खबर सुनाई थी उसके पिता ने | हकबका कर उसने अपने पिता का मुंह देखा था | देश के प्रधानमत्री को गोली मारना बहुत बड़ी बात थी | फिर स्कूल बंद हुये | शहरों में दंगे हुये पर उसके शहर में मात्र दो व्यक्ति मरे थे एक बच्चा और एक बूढ़ा ऐसा उसने उड़ती खबर में सुना था पर  यह खबर कितना सच थी  पता नहीं | उसका शहर सदा शांत रहा है |

अखबार रंग गये थे खबरों से , चित्रों से | बस एक दहशत थी माहौल में |

मुहल्ले के एक परिवार ने कुछ दिन पहले ही नयी टी० वी० खरीदी थी |
जिस दिन इंदिरा गांधी का शव दर्शनार्थ रखा गया था दिल्ले में उस दिन उस परिवार का ड्राइंग रूम खुला था दिन भर हर व्यक्ति के लिये खुला था | अनजान व्यक्ति आते थे खड़े खड़े देखते थे अपनी प्रधानमंत्री को और लौट  जाते थे अपने घर |

प्रीति ने भी उस दिन देखा था टी० वी० पर अपनी प्रधान मंत्री को |


जब जब बात होती है इंदिरा गांधी की तब तब प्रीति को अपनी मुहल्ले की महिला याद आ जाती है |

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