Sunday, October 19, 2014

कन्या पूजन


02 October 2014
22:42
-इंदु बाला सिंह

' आज कितनी कमाई हुई ? ' अष्टमी की शाम को पड़ोस में रहनेवाली अपने स्कूल की छात्रा जया  से मैंने पूछा |

' सत्तर रूपये | पांच घर खाने गयी थी मैं | सब घर में खाना था तो मैं थोड़ा थोड़ा खायी हर घर में | '

' क्या करोगी इन रुपयों का ? ' मैंने  जया का मन टटोला |

' मिस मैं रबर ,शार्पनर और पेन्सिल खरीदूंगी | और बाकी रूपये मम्मी के पास रख दूंगी | '

और भींज गया मन मेरा |


इसका मतलब है इस बच्ची को पेन्सिल रबर भी शायद बड़ी डांट डपट के बाद मिलते हैं जबकि कपड़े तो यह लड़की इतने महंगे पहनती है |

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