Sunday, October 19, 2014

पांच सौ का नोट


16 October 2014
16:20
-इंदु बाला सिंह


" मैडम ! मेरा रुपया चोरी हो गया है | " दसवीं कक्षा के रूपेश ने मिस श्वेता से शिकायत की |

" कैसे ? "

" मैडम ! मैंने पेंसिल वाले बैग में डाल कर अपने स्कूल बैग में रखा था उसे | हमारा स्मार्ट क्लास था | वापस आया तो देखा कि रुपया नहीं है  | "

" मैडम ! मेरा पांच सौ का नोट था | " रूपेश की सुरत रुआंसी हो गयी थी |

" ठीक है | अगला पीरियड मेरा ही है | मैं पूछूंगी क्लास में | "

और जब मिस श्वेता ने रूपेश के पाच सौ के नोट की चोरी के बारे में छात्रों से पूछा तब सभी छात्र  मुकर गये |

हार कर  पॉकेट की तलाशी हुयी लड़के लडकियों की |

सबके स्कूल बैग की भी तलाशी हुयी पर पाच सौ के नोट को तो ऐसा लग रहा था मानो कोई निगल गया हो |

" रूपेश ! तुम ऑफिस के कैमरे में नहीं चेक किये ? " परेशान हो कर मिस श्वेता ने पूछा |

" मैडम मैं गया था | मुझे आफिस में बोले कि जा के अपनी क्लास टीचर से बोलो | "

" ओ ० के ०  | तुम रेसेस में जाना आफिस और बोलना कि मिस श्वेता ने भेजा है | "

पूरे स्कूल व क्लास में कैमरा लगा था और कैमरे की आँख से बच पाना मुश्किल था चोर का |



रेसेस खत्म होने पर आया रूपेश |

" मैडम ! मेरे रूपये वीरेन्द्र ने चुराए हैं | मैंने देखा है कैमरे में |

वह क्लास में घुसा | मेरे डेस्क के पास गया | मेरा स्कूल बैग खोला | फिर उसने मेरा पेंसिल वाला बैग भी खोला | उसने पेन्सिल बैग से कुछ निकाला  और  उस चीज को नीचे गिरा दिया | फिर स्कूल बैग बंद कर के वह नीचे झूका | उसके बाद वह क्लास से बाहर निकल गया | .. मैडम ! जरूर उसने अपने जूते में छुपा लिया होगा | "

रूपेश ने कैमरे में दिखते दृश्य का वर्णन किया |

" मैडम ! बुलाऊं वीरेन्द्र को ? "

" ठीक है बुलाओ | " मिस श्वेता ने कहा |

तीन मिनट बाद वीरेन्द्र मिस श्वेता के सामने खड़ा था |

" वीरेन्द्र ! तुमने रूपेश के रूपये चुराए हैं ? " गरजी मिस श्वेता |

" नहीं मिस | " वीरेन्द्र तुरंत मुकर गया |

" अपने जूते उतारो | " फिर गरजी मिस श्वेता |

वीरेन्द्र ने बांये पैर का जूता-मोजा उतर दिया और खड़ा हो गया |

" दुसरे पैर का भी उतारो | " फिर गरजी मिस श्वेता |

अब बचने का चारा नहीं था वीरन्द्र के पास |

" हां मैडम , मैंने लिए थे रूपये | " मिमियाते हुये कहा वीरेन्द्र ने  और झुक कर वह अपने दायें पैर के जूते से पांच सौ का नोट निकाल कर पकड़ा दिया मैडम को |

" मैडम ! मेरे रूपये मिल गये | मत सजा दीजियेगा वीरेन्द्र को " रूपये मिलते ही रूपेश ने कहा |

मिस श्वेता ने रूपेश की बात अनसुनी कर दी |

" वीरेन्द्र ! मुझे मालूम है तुम्हारे पिता अच्छी नौकरी करते हैं ..फिर भी तुमने रूपये चुराये ... आखिर क्यों ? " नम्र स्वर में मिस श्वेता ने पूछा वीरेन्द्र से |

वीरेन्द्र चुपचाप खड़ा रहा | उसकी चोरी पकड़ी गयी थी | वह अपराधी था मैडम के सामने |

" क्या तुम जानते हो अब कुछ भी चोरी होगा तो क्लास में तुम्हारे मित्र कहेंगे कि वीरेन्द्र ने ही चुराये हैं | " फिर मिस श्वेता ने प्रश्न किया वीरेन्द्र से |

वीरेन्द्र की तो जबान तालू से चिपक गयी थी |

" अच्छा जाओ और कभी मत चुराना किसी का कुछ | "

" जी मैडम | "

और दोनों छात्र निकल गये स्टाफ रूम से |

मिस श्वेता ने सोंचा कि अगर कैमरे  में चोर न दिखता तो क्या होता |


सामने कापी का बंडल इन्तजार कर रहा था चेकिंग के लिये मिस श्वेता का अतः उन्होंने अपनी लाल कलम अपने पर्स से निकाल ली  |

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