Sunday, October 19, 2014

बेटे की मायें


07 October 2014
12:07
-इंदु बाला सिंह


' मेरा बेटा दिल्ली गया है ....कालेज के सर ले गये हैं उसे ....अपने पैसे से ले गये हैं वे | ' चाय में रोटी डुबोते हुये कामवाली ने गर्व से कहा |


' मेरे बेटे को तो आफिस के काम से फुर्सत ही नहीं मिलती ..... बड़ा अफसर है न | ....... अरे ! मर्दों को तो सैकड़ों काम रहते हैं | हमारी तरह वे घर में थोड़े न बैठते हैं | ' मालकिन ने अपने बायें कान के झुमका सीधा करते हुये कहा |

No comments:

Post a Comment