01
September 2014
20:12
-इंदु बाला
सिंह
"
टीचर ! मेरे पापा से आप मेरी शिकायत मत कीजियेगा | मैं अब से मन लगा के पढूंगी |
" सुलभा ने रस्तौगी मैडम से मनुहार की |
" और
पूछेंगे तुम्हारे पापा मुझसे तुम्हारे बारे में तब मैं क्या बोलूंगी ? "
" टीचर !
मैंने अपने मोबाईल का सिम तोड़ के फेंक दिया है ..... अब तो मेरे पास मोबाईल भी
नहीं है | " सुलभा ने फिर मनुहार की रस्तौगी मैडम की |
दो दिन पहले
ही फेसबुक से सम्बन्धित कम्प्लेन किया था
एक सहपाठिन छात्रा ने मिसेज रस्तौगी को |
मोबाईल रखने
के कारण डांट पड़ी थी सुलभा को |
" और
क्या क्या बोलूंगी मैं ! " मिसेज
रस्तौगी ने सहज ढंग से कहा |
और दस मिनट
में सुलभा की गुसिल आवाज आवाज आयी -
" किसने
मेरा नम्बर दिया था रनजीत को ...कल मेरा दिमाग चाट रहा था रात में | "
ब्लैक बोर्ड
पर गणित हल करती रस्तौगी मैडम पलट कर घूरी सुलभा को आठवीं कक्षा की इस छात्रा की परिपक्वता और राजनीति ने उसे एक पल के लिये
अचम्भे में डाल दिया |
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