Friday, September 5, 2014

दीवारों का मोह


28 August 2014
12:35

-इंदु बाला सिंह


पिता के गुजर जाने के बाद श्री शर्मा को घर खाली करने के लिये कहा गया | नया मकान मालिक हो तो किरायेदार भी तो नया रहना चाहिए अन्यथा रौब जमाना मुश्किल होता है | बच्चे जिस घर में बड़े हों आखिर मोह हो जाता है दीवारों से व्यक्ति को |

मकान खाली करने के लिये इतना परेशान किया बेटों ने कि श्री शर्मा मजबूरी में घर खाली किये पर मकान में दूर मिला |

' अरे ! क्या बात है ! अकेली और पैदल ! ' एकाएक दोपहर में सड़क से मिसेज शर्मा को गुजरते देख मैं  चौंक पड़ी |

' हम आपके पीछेवाली लाईन में आ गये हैं | ' खुश हुयी मैं |

मेरा गेट खोल कर सब्जीवाले की आस में सड़क निहारना और मिसेज शर्मा का सड़क से गुजरना दोनों एक साथ हुआ | शायद हमारा मिलना भी किस्मत थी | अन्यथा किसे किसकी याद रहती है |

' इस समय हमारे घर में मेरे दोनों बेटे बहू और बेटी दामाद आये हैं | आईये कभी | वे सब और एक सप्ताह रहेंगे | ' चहक कर मिसेज शर्मा ने कहा | लेकिन बात करते समय  हसरत भरी निगाह आज भी उठीं अपने पुराने मकान पे |


खुश हुयी मैं | आखिर उसे अपना पुराना मकान न मिला था किराये में तो क्या हुआ पुराने मुहल्ले तो वह वापस आ गयी थी |

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