28 August
2014
12:35
-इंदु बाला
सिंह
पिता
के गुजर जाने के बाद श्री शर्मा को घर खाली करने के लिये कहा गया | नया मकान मालिक हो तो किरायेदार भी तो नया
रहना चाहिए अन्यथा रौब जमाना मुश्किल होता है | बच्चे जिस घर में बड़े हों आखिर मोह
हो जाता है दीवारों से व्यक्ति को |
मकान खाली
करने के लिये इतना परेशान किया बेटों ने कि श्री शर्मा मजबूरी में घर खाली किये पर
मकान में दूर मिला |
' अरे ! क्या
बात है ! अकेली और पैदल ! ' एकाएक दोपहर में सड़क से मिसेज शर्मा को गुजरते देख
मैं चौंक पड़ी |
' हम आपके
पीछेवाली लाईन में आ गये हैं | ' खुश हुयी मैं |
मेरा गेट खोल
कर सब्जीवाले की आस में सड़क निहारना और मिसेज शर्मा का सड़क से गुजरना दोनों एक साथ
हुआ | शायद हमारा मिलना भी किस्मत थी | अन्यथा किसे किसकी याद रहती है |
' इस समय
हमारे घर में मेरे दोनों बेटे बहू और बेटी दामाद आये हैं | आईये कभी | वे सब और एक
सप्ताह रहेंगे | ' चहक कर मिसेज शर्मा ने कहा | लेकिन बात करते समय हसरत भरी निगाह आज भी उठीं अपने पुराने मकान पे
|
खुश हुयी मैं
| आखिर उसे अपना पुराना मकान न मिला था किराये में तो क्या हुआ पुराने मुहल्ले तो
वह वापस आ गयी थी |
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