Wednesday, August 27, 2014

भय ही भूत ( लोक कथा )


27 August 2014
13:02
एक दिन गांव  में हल्ला मचा | सब भागने लगे एक दुसरे सुन के कि गांव  में एक राक्षस आनेवाला है | वह राक्षस आदमी को मार कर खा जाता है |

एक पांच वर्षीय बालक ने सोंचा कि देखा जाय यह राक्षस कैसा है |

सभी गांववाले गांव छोड़ कर भाग गये |

दूसरे दिन बालक ने देखा कि गांव में एक विशालकाय राक्षस घूम रहा है |

वह राक्षस अपने सामने एक पांच वर्षीय बालक को खड़े देख चौंक गया |

' ए लड़के ! सब गांववाले मुझसे डर के भाग गये | तू नहीं गया ? तुझे मुझसे डर नहीं लगता ? ' , राक्षस ने बालक से गुर्रा कर पूछा |

' नहीं , मुझे किसीसे नहीं डर लगता | मैं क्यों डरूं भला तुमसे ? ' बालक ने बहादुरी से जवाब दिया |

एक छोटे से बालक के मुंह से इस प्रकार का निडर उत्तर पा राक्षस थोड़ा डर गया |

राक्षस का आकार थोड़ा घट गया |

अब आश्चर्य से भरा राक्षस क्रोध में आ कर बार बार बालक से अपना पहला प्रश्न पूछने लगा |

पांच वर्षीय बालक के हर निडरता भरे उत्तर सुन  राक्षस का आकार घटने लगा |

और अंत में राक्षस बिंदु बन के गायब हो गया |

बालक खुश हो गया |


गांववाले जब वापस लौटे तो गांव में बालक को जिन्दा पा कर आश्चर्यचकित हुये |

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