24 June
2014
09:26
-इंदु बाला
सिंह
"
अरे ! मिसेज शर्मा आप ! "
सड़क के किनारे
बिकते कपड़ों के ढेर को उत्सुक आँखों से देखते हुए मिसेज गार्गी की आंख मिसेज शर्मा
पे पड़ी |
दोनों महिलाएं
फूटपाथ पर पैदल चलनेवालों का अवरोध बन गयीं |
" सुना
है आपके दोनों बेटों का ब्याह हो गया है ? "
" हां जी
!... " मुस्कुरा के मिसेज शर्मा बोली | " और मेरी दोनों बहुएं मेरे गाँव
के मकान में ही रहती हैं | "
" अब
....मेरे बेटे तो इतना कमाते नहीं हैं न .... शहर में रह कर जो कुह्ह बेटे कमाते
हैं सोंचिये वो उनका अपना पैसा है .....गाँव में तो बहुएं अधिया की खेती से खाती
हैं ...वैसे मेरे गाँव के घर में मेरे ससुर , विधवा ननद भी रहते हैं | "
मिसेज शर्मा बोल पड़ी |
मिसेज शर्मा
जो न बोली वो मिसेज गार्गी उनके बिना बोले ही समझ गयीं | आदमी दुसरे राज्य में कमाने जाता है बसने
नहीं |
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