17 July
2014
20:12
"
मेरे घर का भाड़ा मैं , मेरे पिता और मेरे भाई में तीनों मिल कर देते
है | एक एक के हिस्से ढाई हजार पड़ता है | भाई भाभी यहाँ रहते तो नहीं हैं पर पर जब
वे आते हैं तो उनके लिए एक कमरा चाहिए न | बिजली का बिल मेरे पिता देते हैं
इंटरनेट का मैं | मेरी बिटिया के खाने का खर्च मैं देती हूं | अपनी बिटिया का
स्कूल फीस , ट्यूशन फीस सब मैं देती हूं | मेरे पिता रिटायर्ड हैं न कितना खर्च
उठाएंगे परिवार का | " तलाकशुदा अध्यापिका ने मुस्कुरा कर कापी चेक करना रोक
कर सहज ढंग से अपनी तनख्वाह का हिसाब दे दिया |
मैं उसकी
सहजता पर विस्मित थी और मुझे अपने घर में होने वाले सास ससुर व पति के बीच प्रतिदिन होनेवाले शीत
युद्ध की याद आया |
उस अध्यापिका
की मुस्कान मुझे ठंडी फुहार सी महसूस करा गयी |
मैं
प्रत्युत्तर में मुस्कुरा दी |
मेरे सामने
कापी का ढेर था चेक करने के लिये पर मेरा मन उखड़ चूका था कापी से |
मैं बस यूं ही
कापी के पिछले पन्ने पलटने लगी और सोंचने लगी कहीं कोई पन्ना बिना चेक हुए ही छूट
तो नहीं गया है |
प्राइवेट
विद्यालय में सारे बच्चे फर्स्ट क्लास पास तो हो जाते हैं पर शिक्षक की तनख्वाह
पांच से आठ हजार के बीच ही रहती है और इसी तनख्वाह में शिक्षक की इमानदार दुनिया
बसती है |
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