19 June
2014
16:22
-इंदु बाला सिंह
"
अरे ! क्या बात है ...आज स्कूटी है !... "
" आज
अखबार बाँटनेवाला लड़का छुट्टी पर है ....ये बिटिया की स्कूटी है | .....उसके कालेज
में भी छुट्टी है | .... " अखबारवाला झेंपते हुए बोल पड़ा |
खटारे
साईकिल से हर महीने आ कर अखबार के पैसे वसूलने वाले को आज लाल रंग की प्लेजर
स्कूटी में अखबार लाद कर बांटते देख मैं
चौंक गयी |
लाल रंग की
चमचमाती स्कूटी पर बैठे उस बुजुर्ग की मुस्कुराती प्रसन्नचित्त आँखे मुझे मोहक
लगने लगी |
" क्या
पढ़ रही है तुम्हारी बेटी ? "
" एम० ए०
फाईनल की परीक्षा दी है ....नेट की परीक्षा भी दी है ... "
आजतक जो
अखबारवाला मुझे आम आदमी लग रहा था अब मुझे ख़ास लगने लगा |
" कौन सा
विषय है उसका एम० ए० में ? "
" उड़िया
है | "
" फिर
क्या करेगी तुम्हारी बेटी "
" एम०
फिल० करेगी | "
उस अखबारवाले
के उत्तर मुझे गदगद किये जा रहे थे |
मन ही मन
मैंने सोंचा ..." क्या पिता है | "
"
मेरा बीटा भी डिप्लोमा इंजीनीयरिंग कर के नौकरी कर रहा है | " मुझे चुप देख
कर वह अखबारवाला स्वत: बोल पड़ा |
मैंने
मुस्कुराकर अखबारवाले का मनोबल बढ़ाया |
और मेरे मुंह
से बरबस निकल पड़ा .." वाह ! "
फिर मेरी
आँखों के सामने बड़े घर की उन लडकियों की कहानिया कौंध गयीं ..जो स्कूल की
पढायी के समय ही घर छोड़ कर किसी के साथ
भाग गयी थीं |
मेरा मन कसैला
हो गया |