09 May
2014
08:05
-इंदु बाला
सिंह
"
अरे टीचर आपने मेरा प्रश्न हल नहीं किया ? " एकाएक दसवीं कक्षा का सुनील
बोल पड़ा |
गर्मी की
छुट्टियों में टीचर ने एक महीने की गणित की कोचिंग क्लास रखी थी |
पास में ही एक
में छात्र इकट्ठे होते थे और अपनी गणित के विभिन्न प्रश्नों का हल करते थे |
प्राय: हर रोज
समयाभाव के कारण नीलिमा मैडम कुछ प्रश्न कागज के पन्ने पर अपने छात्रों से लिखवा
कर घर ले जाती थी |
कोचिंग
क्लास सुबह छ: बजे रहती थी | आज कोचिंग
क्लास आते समय हड़बड़ी में नीलिमा से प्रश्न का हल किया हुआ पन्ना घर में ही छूट गया
था |
" राजेश
! तुम तो सईकिल से आये हो न आज !...जाओ मेरे घर से सुनील पन्ना ले आओ | "
नीलिमा ने राजेश से कहा
" लेकिन
मैं तो आज साईकिल से आया ही नहीं हूं मैडम ! "
" अच्छा
दिव्या तुम तो स्कूटी से आई हो न ..जाओ मेरे घर से हल किया हुआ पन्ना ले आओ |
" नीलिमा दिव्या की ओर मुखातिब हुई |
" अरे !
मैडम ...आज आपको आने में देर हुई ... आप को नींद आ रही है ....आप जाईये ....
" दिव्या ने चट से उत्तर दिया |
हार कर टीचर
खुद गई अपने घर अपना छूटा पन्ना लाने |
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