15 May
2014
07:28
-इन्दु बाला
सिंह
दो
वर्ष तक चचेरी भाभी मैके से न लौटी तो वह एक पत्र लिख बैठी |
' भाभी ! आप
हमारे घर आ कर रहिये ..... आपको यहां नौकरी लगा देंगे | '
उसकी दुनिया
कितनी स्वप्निल थी | उसके पिता ने एक पुरुष रिश्तेदार को नौकरी लगवायी थी | बिना पिता से बातचीत किये उसने भाभी को एक
दिन पत्र लिख मारा था | भाभी निकम्मे पति के दुःख और जेठ द्वारा ठीक से खाना न बना
होने के कारण अपनी दम्भी जेठानी के सामने
किचेन में पड़े कलछुल से पिटायी खाने के बाद वापस ससुराल न लौटी थी | न तो
पति में मनोबल था पत्नी को बुलाने का और न ही पत्नीविहीना ससुर में हिम्मत थी बहु
को घर वापस लाने की |
' आप अपने भाई
को नौकरी लगवा दीजिये ' , पत्र का उत्तर आया |
कालेज में
पढ़ती थी वह पर सम्बन्धों के मिठास को महसूसने वाली चचेरी ननद को चुभ गये भाभी के
शब्द | इतना भी न सोंच सकी थी वह कि काश
भाभी ने पत्रोत्तर ही न दिया होता |
आज अपने ब्याह
के बीस वर्ष बाद उस पत्रोत्तर की उसे याद आयी और समझ आया उसका अर्थ |
भाभी को मेरा
निकम्मा श्रीहीन भाई न भाया था तो मैं कौन थी उसकी |
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