Thursday, May 22, 2014

श्रीहीन भाई


15 May 2014
07:28

-इन्दु बाला सिंह

दो वर्ष तक चचेरी भाभी मैके से न लौटी तो वह एक पत्र लिख बैठी |
' भाभी ! आप हमारे घर आ कर रहिये ..... आपको यहां नौकरी लगा देंगे | '

उसकी दुनिया कितनी स्वप्निल थी | उसके पिता ने एक पुरुष रिश्तेदार को नौकरी लगवायी  थी | बिना पिता से बातचीत किये उसने भाभी को एक दिन पत्र लिख मारा था | भाभी निकम्मे पति के दुःख और जेठ द्वारा ठीक से खाना न बना होने के कारण अपनी दम्भी जेठानी के सामने  किचेन में पड़े कलछुल से पिटायी खाने के बाद वापस ससुराल न लौटी थी | न तो पति में मनोबल था पत्नी को बुलाने का और न ही पत्नीविहीना ससुर में हिम्मत थी बहु को घर वापस लाने की |
' आप अपने भाई को नौकरी लगवा दीजिये ' , पत्र का उत्तर आया |
कालेज में पढ़ती थी वह पर सम्बन्धों के मिठास को महसूसने वाली चचेरी ननद को चुभ गये भाभी के शब्द | इतना भी न सोंच सकी थी वह  कि काश भाभी ने  पत्रोत्तर ही न दिया होता |

आज अपने ब्याह के बीस वर्ष बाद उस पत्रोत्तर की उसे याद आयी और समझ आया उसका अर्थ |

भाभी को मेरा निकम्मा श्रीहीन भाई न भाया था तो मैं कौन थी उसकी |

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