Monday, February 24, 2014

कुत्ता और आदमी

गेट का ताला खोल ही रही थी वह सबेरे छ: बजे कि सामने से एक कुत्ता गुजरा |

" जरूर राधेश बाबू आ रहे होंगे .... " सोंचा उसने |

" ये तो रहे राधेश बाबु ... " उसके मुंह पर मुस्कान आ गयी | बहुत से लोग कुत्ते से ही पहचाने जाते हैं |

अब वह सड़क पर आ गयी | कुत्ता कुछ ही दूर गया कि सड़क के कुत्ते भोंकने लगे |

रुक गया राधेश बाबू का कुत्ता ... फिर आदमी की तरह अपनी बांयी ओर मुंह फेर लिया ....इसी बीच राधेश बाबु भी अपने कुत्ते के पास पहुंच गये ...अब आदमी और कुत्ता दोनों साथ चलने लगे |

सड़क के कुत्ते उन्हें जाते हुए देख रहे थे |


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