Friday, January 31, 2014

सड़क पर चलती गाय

सामने से एक  गाय रास्ता पार कर रही थी  |

स्कूटर सवार दो पल को रुका ...गाय के रास्ता पर करने के लिए |

एक मॉल से लदा ट्रक पीछे से आ रहा था ... वह एकाएक स्पीड कम न कर सका ...

एक धक्का ...

महिला गिरी ट्रक के पहिये के नीचे चिप गयी | सड़क लाल हो गयी |

स्कूटर का ड्राईवर भाग्यशाली था सड़क के पेवमेंट पर गिरा |


ट्रक ड्राइवर ट्रक समेत भागा  जान बचा कर |

Thursday, January 30, 2014

सबल मातृत्व

सहकर्मी शिक्षिका मिसेज अयंगर का दस वर्ष पश्चात हमारे घर आना हमारे लिए हमारे लिए सुखानुभूति थी | असल में वो रिटायर हो गयीं थी | उन्हें शहर छोड़ कर जाना था इसलिए वे हमसे मिलने आयी थीं |
कितनी सारी बातें हमनें की | अपने बच्च्चों के बारे में हुयीं |
" अपनी  बेटी कविता का उसके पति से उसके पति का अलगाव तो मैंने एक साल में ही करवा दिया | मैंने जितने जेवर दिए थे बेटी को वो सब लड़के से वापस वापस ले लिया  | ठग था लड़का | बोलता था अच्छी नौकरी है दिल्ले में | कोई नौकरी न थी उसके पास | बेटी को एक बेटा भी है | मैंने कविता को बी० एड० करवा दिया | फिर उसे एक प्राइवेट विद्यालय में नौकरी लगवा दी हूँ इसी शहर में | मेरे हसबैंड और मैं रिटायर हो चुके हैं | इस लिए मैंने कविता को जबरदस्ती अपनी बड़ी बेटी सीमा के घर में रखा है | हमारे साऊथ में तो लड़की को प्रापर्टी देते हैं न | मैंने उससे कहा है कि अगर वह अपने घर में छोटी बहन को न रखेगी तो उसे मै एक सूत भी अपनी प्रापर्टी का न दूंगी | कविता का बेटा अपनी माँ के  ही विद्यालय में  पढ़ता है | दस साल तक तो रखना ही पड़ेगा बहन को कविता को | " वे बोलती गयीं अपनी रौ में |
मैं अवाक् सी सुन रही थी उन्हें |
कुछ  घंटों बाद वे चली गयीं |                                                                                                                                            कविता का विद्यालय हमारे शहर में ही था | खबरें आती रहती थीं |
फिर खबर आयी कविता के बेटे विनय ने सी० बी० एस० ई० बोर्ड की परीक्षा पास कर ली है |

फिर सुना कविता ने विद्यालय छोड़ दिया है |     

मिसेज वर्मा एंड फैमिली

आखिर मिला अमरीकन की शादी का कार्ड |

अमरीका से छंटनी होने के बाद स्वदेश लौटने पर उसका नाम अमरीका रख दिया था मुहल्ले ने |

पचास वर्ष की उम्र में उसे अपनी जाति की मनचाही लड़की मिली |

उससे भी  बड़ी खुशी की बात थी कार्ड के लिफाफे पर लिखा घर की विधवा नुखिया का नाम था .... " मिसेज वर्मा एंड फैमिली "

मिसेज वर्मा ने आशीस दिया मन ही मन विभोर को |


कार्ड बाँटने खुद दूल्हा आया था |

Wednesday, January 29, 2014

रसीद रखे रहना

आठवीं कक्षा सिरदर्द कक्षा थी स्कूल की |

छात्रों को नित नई शैतानी सूझती रहती थी | शोभित यद्यपि पढ़ाई में अच्छा था पर हर शैतानी में उसका नाम प्रथम स्थान में रहता था | इसका भी एक कारण था | वह निडर था | जहां सब छात्र बच कर निकल जाते थे वहां शोभित पकड़ लिया जाता था | आर्मी की कालोनी में रहता था | 

सभी शिक्षक जानते थे कि शोभित केवल अपने पिता से ही डरता है |

एक बार प्रिंसिपल ने शोभित के पिता को बुलवा भेजा था | उन्होंने शोभित की शैतानी की शिकायत उनसे की |

शोभित के पिता पहले तो सुनते रहे शिकायतें फिर उलट के प्रधानाध्यापिका से ही कड़ी आवाज में बोल पड़े ....
" टीचर कक्षा में मौजूद है तो बच्चे कैसे शैतानी करते हैं ........ टीचर में कमी होगी  "

घर में बड़ी पिटाई पड़ती थी शोभित को | उसका बड़ा भाई भी उसी विद्यालय में पढ़ता था | वही सब बातें टीचरों  को बताया करता था |

एक दिन  इंग्लिश टीचर छुट्टी पर थी |

एडजस्टमेंट टीचर के कक्षा में पहंचने से पहले ही पूरी कक्षा बाहर निकल गयी | कक्षा खाली थी | जब बच्चों को ढूंढने वह स्कूल के ग्राउंड में गयी तो उसे देखते ही सब बच्चे भागे दुसरे तरफ से घूम कर कक्षा में घुसने के लिए | साकेत तो राह की कंटीली झाड़ियों पर गिर पड़ा |

दृश्य हास्यास्पद था | टीचर परेशान थी | जब वह कक्षा में पहुंची तो सब छात्र चुपचाप बैठे थे |

आखिर कितना डांटा जाय बच्चों को |

इधर कुछ दिनों से शोभित शांत रहने लगा था | चुपचाप कक्षा की पीछे की सीट पर बैठा रहता था |

कक्षा भी शांत  हो गयी थी | शायद वार्षिक परीक्षा का भय पैदा हो गया था छात्रों में |

पर यह शांति ज्यादा दिन नहीं टिकी |

सरस्वती पूजा के समय हंगामा हो गया | आठवीं कक्षा उपर के हल में थी | पूजा का डेकोरेशन चल रहा था |

इसी बीच उपर से धूमधाम की आवाज आयी |

कुछ बच्चे दौड़ते हुए उतरे |

उठा कर खेल रहे थे कुसियों से बच्चे | एक ने जोर से फेंकी फाईबर की कुर्सी और कुर्सी बेचारी गिर कर लंगड़ी हो गयी |

अब क्लास टीचर परेशान |

प्रिंसिपल से उसे ही चार बातें सुननी थी |

" आपकी कक्षा के बच्चे बड़ी शैतानी करते हैं ...."

कोई छात्र कुर्सी तोड़ने वाले छात्र का नाम बता ही नहीं रहा था |

पूरी कक्षा को सजा के तौर पर फाईन लगा | हर बच्चे को डेढ़ सौ रूपये |

वैसे कुर्सी का मूल्य मात्र पन्द्रह सौ रूपये थे पर यहां तो सजा मिली थी | इस सजा से फायदा ही था स्कूल को | पचास बच्चों से फाईन लेने पर स्कूल को साढ़े सात हजार मिल रहा था |

इसी बीच सुधीर आ कर बोला ........" टीचर कुर्सी शोभित से टूटी है | वह बोलता है आकर आपसे अपनी गलती मान लेगा | "

शोभित ने क्लास टीचर से अपनी गलती के लिए माफी मांग  ली |

अब उसे प्रिंसिपल के सामने जा कर माफी मांगना था |

प्रिंसिपल के आफिस से उसे कुर्सी का मूल्य जमा कर देने को कहा गया आफिस में |

दुसरे दिन शोभित केवल एक हजार रूपये लाया और क्लास टीचर से बोला .... " टीचर यह रुपया मैं अपना गुल्लक तोड़ कर लाया हूं | "

इस बार फिर उसे फिर प्रिंसिपल के पास भेजा क्लास टीचर ने क्यों कि वह पूरे पैसे नहीं लाया था |

डर के मारे उसने प्रिंसिपल से कहा ...." मैडम ! आज तो मैं केवल हजार रूपये लाया हूं | "

" कोई बात नहीं ...कल लाकर एक साथ जमा कर देना | " प्रिंसीपल ने फाईल से आंखें उठा कर कहा |

दुसरे दिन शोभित बाकी रूपये का इंतजाम कर लिया |

इस बार शायद शोभित के बड़े भाई का गुल्लक टूटा था |

क्लास टीचर ने शोभित को समझाया ..... " रसीद सम्हाल के रखना | यह तुम्हारा प्रूफ है पैसे देने का | कल तुमको कोई बोलेगा कि तुमने नहीं दिया रूपये तब |"

आखिर पिता को बिना बताये छात्र ने अपने गुल्लक के पैसों द्वारा फाईन दे कर खुद को सजा ही दिया था |

" ऐसे कैसे बोल देगा कोई " शोभित ने आंख निकाल कर कहा |







Sunday, January 26, 2014

समझदार बकरियां ( लोक कथा )

दो बकरियां थीं | वे दोनों नदी के विपरीत किनारों से पुल पर चढीं थीं | चलते चलते जब वे एक दुसरे के सामने आयीं तब उन्हें लगा कि पुल तो संकरा है |

दोनों बकरियों ने कुछ देर सोंचा ...फिर एक बकरी बैठ गयी पुल पर और दूसरी बकरी उसके पीठ पर पैर रख पार हो गयी |

Friday, January 24, 2014

सरल मेमना ( लोक कथा )

दो भेड़िये आपस में लड़ रहे थे |

कूदते फांदते सड़क से गुजरते हुए मेमने की निगाह लड़ते भेड़ियों पर पड़ी |

मेमना कुछ पल तक वहीं खड़ा रहा | फिर उसे याद आयी गुरूजी की बात .. लड़ना नहीं चहिये .....हमें आपस में मिल कर रहना चाहिए ....

मेमना चिल्लाने लगा ..... अरे ! क्यों लड़ते हो ........लड़ो मत ....अरे ! लड़ो मत ....

भेड़ियों की लड़ाई पल भर में रुक गयी |

उनकी निगाह मेमने  पर पड़ी |

दोनों की निगाहें आपस में मिलीं | आंखें चमकीं |

वे दोनों एक साथ मेमने पर टूट पड़े |






Wednesday, January 22, 2014

शकरकंदी का दान ( लोक कथा )

एक बुढ़िया थी | जब वो मरी तो दूत उसे स्वर्ग ले जाने लगे क्योंकि उसने एक बार एक उबली शकरकन्दी किसी भूखे को दान की थी |

उस बूढ़ी को स्वर्ग जाते देख और भी मृतक उसका पैर पकड़ कर लटक गये | इस प्रकार छ: लोग लटक गये एक दुसरे का पैर पकड़ कर |
बुढ़िया ने देखा कि एक दुसरे का पैर पकड़ कर उसके साथ और छ: लोग स्वर्ग जा रहे हैं तो उसके मन में इर्ष्या पैदा हो गयी |
उसने सोंचा .... अरे ! दान तो मैंने किया था ... मैं स्वर्ग जा रही हूं ....ये लोग मेरा फायदा उठा रहे हैं ...
ज्यों ही बुढ़िया के मन में यह बात आयी वह धड़ाम  से नर्क में गिर पड़ी |


Monday, January 20, 2014

उच्च शिक्षा विदेश में

" अब क्या बताउं जी .... मेरी बिलकुल इच्छा नहीं थी बेटे को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजने की ....मेरा बेटा समझाने लगा मुझे ...माँ मैं दिल्ली रहूँ या अमेरिका क्या फर्क पड़ता है ... मोबाइल पर या स्काईप पर तुमसे बात करूंगा न ..| " मिसेज शर्मा दुखी मन से बोल रही थीं |
" फिर मेरे हसबैंड ने समझाया मुझे .... जाने दो ...बेटे की इच्छा है तो उसे रोको नहीं  ...नहीं तो जिन्दगी भर कहेगा ... मुझे मेरे माँ बाप ने पढ़ने नहीं जाने दिया अमेरिका के विद्यालय में पढ़ने ..... दो साल में तो पूरी हो जायेगी उसकी पढाई .....पर मुझे ये बात पता है ... जो एक बार चला गया विदेश वो फिर लौटना  नहीं चाहता ..... लेकिन क्या कर सकते हैं हम .......... चाय लाती हूँ ...| मिसेज शर्मा ने बात पलटी और किचेन में चली गयी |


मिसेज मिश्रा चुपचाप सेंटर टेबल पर पड़ा उठा ली ...कल उसका बेटा भी शायद ऐसे ही उसे समझाने लगे ...अभी तो इंजीनियरिंग के सेकण्ड इयर में है वो .. उसके दिमाग  में विचार विचार जन्म लेने लगे |

Sunday, January 12, 2014

ब्याहता बेटा

" जरा सोंचिये ! मैंने अपने सास ससुर को दस हजार के गर्म कपड़े दिलवाए ...वे जब जाने लगे मेरे घर से .... और वे मेरे बेटे को दो सौ रूपये पकड़ा कर गये | " पड़ोसन ने ताव से कहा |


मैं सोंच में पड़ गयी उसकी स्पस्टवादिता पर खुश होऊं कि मूर्खता पर दुखी |

Saturday, January 11, 2014

मेरी बेटी ही नॉमिनी है

" मेरे पी० एफ० और इंश्योरेंस की नॉमिनी  मेरी बेटी ही रहेगी सदा ..... मैंने तो अपने बैंक अकाउंट की नॉमिनी भी बेटी को ही बनाया है .... तुम दे  देना न अपना धन अपनी बेटी को ... " माँ ने मुंह फेर कर कहा और सब्जी काटने लगी |

पिता ने कहा जानेवाली निगाहों से देखा बेटी को और चप्पल पहन पार्क की ओर चल पड़े |


पांच वर्षीय बेटी सहमी सी अपना गुड्डा  पकड़ माता पिता को देखती रही .... भाई तो दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने पार्क चला गया था |

Wednesday, January 8, 2014

छात्र और हड़ताल ( स्कूल की कहानियां )


सप्तम कक्षा के छात्र अलग स्कूल और अलग घर के हों तो बड़ी छनती है क्योंकि उम्र तो एक ही रहती है न |

" एक हडताल हो चुकी है इस महीने ... और दो होनी चाहिए इसी महीने ... | " एक छात्र ने कहा |

" अरे नहीं ! ... हमारे स्कूल में परीक्षाएं चल रही हैं .... वरना छब्बीस जनवरी से पहले     परीक्षाएं खत्म न हो पाएंगी | " दुसरी छात्रा परेशान हो उठी | परीक्षाएं खत्म होने से मैदान में गप्पें मरने पर मम्मी से डांट खाने का भय न रहता था उसे |


" तो क्या हुआ .... एक एक पेपर के बीच गैप हो जायेगा ...अच्छा से पढ़ाई हो सकेगी | " 

Monday, January 6, 2014

मारवाड़ी है भाई ! ( स्कूल की कहानियां )

" अरे भाई ! केजरीवाल मारवाड़ी है .... और मारवाड़ी को कहीं भी कभी भी नुकसान नहीं होता ..... सरकार को भी नुकसान नहीं होगा फ्री पानी सप्लाई से ... "
मारवाड़ी छात्रा ने कालर ऊँचा करते हुए कहा | कुछ छात्र छात्रायें  स्कूल के मध्यावकाश के समय एक समूह बनाये खड़े थे |

शिक्षक को बगल से गुजरते देख छात्रा ने कालर  नीचे कर लिया |

काठ हृदया लड़की

" अरे इ लड़की त एतनी काठ हृदया हव कि विदा समय भी ना रोई .... | "

हमेशा ऐसा नाम कमाने वाली लड़की ने अपना नाम बनाये रखा |

वेदी पर बैठते समय चाची ने घूँघट खींच दिया |

वेदी के सामने मन्त्रोत्चार के साथ आंसू अविरल बह रहे थे लड़की के |

विदा के समय ननद ने घूँघट खींच दिया |

पिता की ड्योढी लांघते वक्त लड़की का चेहरा नहाया था आंसू से |


घूँघट ने मान रख लिया था काठ हृदया लड़की का |

शैतान विनय ( स्कूल की कहानियां )

विनय ने मिसेज दत्ता की नाक में दम कर रखा था कक्षा में |

नित नयी शैतानी सूझती थी उसे  |

आठवीं कक्षा के छात्र विनय में  चौथी कक्षा के छात्र सा चुलबुलापन था |

" देखो विनय ! कल छुट्टी का आखिरी दिन है ...सम्हल के रहना ...वरना पिछली बार की तरह शैतानी करोगे तो नये साल में प्रिंसिपल के सामने खुद को कैमरा में देखोगे शैतानी करते हुए ...और सजा मिलेगी तुम्हें  | " मिसेज दत्ता ने विनय को धमकाते हुए कहा |

हर कक्षा में कैमरा लगा था | उसमें बच्चों को उनकी शैतानियों का प्रूफ दिखा कर सजा मिलती थी |

विनय डर गया |

" नहीं टीचर ! ऐसा नहीं होगा | "

और जाड़े की छुट्टी के आखिरी दिन कक्षा से वह नदारद था |

मिसेज दत्ता ने सोंचा छुट्टी में गाँव चला गया होगा |

तीन तारिख को स्कूल खुला | विनय कक्षा में न दिखा |

मिसेज दत्ता ने सोचा ... चलो शांति है कक्षा में |

" क्या मैं अंदर आ सकता हूँ ....गुड मार्निग टीचर ...हैप्पी न्यू ईयर !... " बोलते हुए सीधे प्रवेश कर गया अंदर कक्षा में |

सामने बैठे छात्र ने धीरे से कहा ... " बैड मार्निग टीचर ! .."

टीचर ने कुछ न सुन पाने जैसा चेहरा बना कर उपस्थिति रजिस्टर खोल लिया  ..... फिर एक एक कर के बच्चों का नाम बुलाने लगी |

विनय अपनी जगह से उठ कर धीरे से मिसेज दत्ता के पीछे खड़ा हो गया |  .... फिर देखा कि टीचर कुछ नहीं बोल रही है तो धीरे धीरे टीचर के टेबल के बगल खड़ा हो गया |

" ऐसा करो विनय ...कल से तुम यूनिफार्म मत पहन के आना ....ठीक है ..... तुम उपस्थिति लेना और क्लास में गणित पढाना  .....ठीक है ... " मिसेज दत्ता ने उपस्थिति लेना बंद कर के कहा |

" नहीं टीचर !...यूनिफार्म क्यों नहीं पहनूंगा ?... " अचंभित हो विनय ने कहा |

" तुम टीचर बन जाओगे न ...तो तुम्हें यूनिफार्म की जरूरत नहीं .... मै स्टाफ रूम में आराम से बैठुंगी | "

अब बात समझ आयी विनय को |

झेंपते हुए अपनी सीट पर जा बैठा वह |





Thursday, January 2, 2014

पहली अप्रैल ( स्कूल की कहानियाँ )

" टीचर आपके सैन्डल में क्या लगा है ? "

" अरे ! तुम्हारे जूते में क्या लगा है ? "

 बच्चे हँस पड़े |

 टीचर भी हंस दी |


 आज पहली अप्रैल थी |

झोपड़ी की कीमत

जाड़े की भोर थी |

रानी अपनी सहेलियों के साथ नदी में नहाने गयी | नहाने के बाद उसे  ठंड लगने लगी | सामने एक खाली फूस की झोपड़ी देख वह सोंची क्यों न इसे जला कर आग तापा जाय |

बस रानी के मन की बात सुनते ही सहेलियों ने आग लगा दी झोपड़ी में | रानी अपनी सहेलियों के साथ जम कर आग तापीं फिर अपने महल लौट गयीं |

गरीब आदमी जब झोपड़ी में लौटा तो पाया कि उसकी झोपड़ी राख बन चुकी है |

दुखी मन से वह गरीब आदमी राजा  के दरबार में  रानी की शिकायत ले कर पहुंचा |
राजा ने रानी को दरबार में बुलवाया  और पूछा कि क्या उसने  आज एक झोपड़ी जलायी है |

" हाँ जलाई तो थी | वो खाली पड़ी थी | ... " रानी ने कहा |

" तो अब वो गरीब बेचारा कहां रहेगा ? " राजा  ने प्रश्न किया |

" ठीक है ...मैं बनवा दूंगी झोपड़ी | "

" तुम कैसे बनवा दोगी ?....तुमको झोपड़ी खुद कमा कर बनवाना पड़ेगा |...एक झोपड़ी इतनी आसानी से नहीं बनती .... तुमको आज से ही राजमहल से मैं निष्कासित करता हूँ ....अब जब तुम झोपड़ी बनवा लोगी तभी मेरे महल में प्रवेश कर पाओगी | " यह कह कर राजा ने रानी को राजमहल से निकाल दिया |
अब रानी काम खोजने के लिए दर दर भटकने लगी |
आखिर एक लकडहारे के घर उसे लकड़ी काटने का काम मिला |

रानी ने पूरे  एक साल काम  किये तब जाकर झोपड़ी बन पायी |

झोपड़ी बना कर जब वह राजा के पास पहुंची तब राजा ने उसे राजमहल में फिर से रख लिया |











Wednesday, January 1, 2014

एक बच्चे को पीट दीजिये


कक्षा में अनुशासन बनाये रखने का गुर समझा रहे थे मिस्टर शर्मा विद्यालय में नये लगे अद्ध्यापक  को |

" कक्षा में घुसते ही एक बच्चे को सजा दे दीजिये ....किसी भी बच्चे को ....बस देखिये पूरी कक्षा शांत हो जायेगी .... मैं तो ऐसे ही करता हूँ ..... अरे आप जानते नहीं हैं ....  इस विद्यालय के विद्यार्थी बहुत दुष्ट हैं  | "


नया शिक्षक दुखी मन से मौन हो सीनियर शिक्षक का चेहरा देखता रहा |

वाकिंग ट्रैक पर बच्चे

वाकिंग ट्रैक ऐसा था कि उस पर केवल दो व्यक्ति एक साथ चल सकते थे |
अगर दो विपरीत दिशा में चलने वाले हों तो मुश्किल से एक दुसरे के बगल से निकला जा सकता था |
नये साल में चार पांच बच्चे घुस आये पार्क में सुबह सुबह | कोहरे में डूबी सुबह और ट्रैक पर दोड़ते शैतान बच्चे |
बगल से गुजरने को आतुर सब |
" अरे रे !....एक के पीछे एक चलो !...."
" हैप्पी न्यू ईयर आंटी "

अनजान बच्चों ने अपनी गलती मीठी जबान में ढंक दी |