Tuesday, November 12, 2013

झूठी शान

छोटे भाई के ब्याह के पांच बरस बाद  सरिता मैके आयी थी चचेरी बहन के ब्याह के अवसर पर | उसने भाई की आर्थिक स्थति  विषय में अपने पिता से सुना था | भाभी के अपने एक एक जेवर बिक गये थे | कष्ट से घर चल रहा था |
" भाभी ! ....मैं लाई हूं अपना एक एक्स्ट्रा सेट तुम्हारे लिए .... तुम पहन लेना ब्यह के दिन ... " सरिता को भाई के इज्जत की चिंता थी |

" मैं क्यों पहनूं  तुम्हारा सेट ...तुमने तो मेरे चारों सेट रख लिए .... " भाभी भड़क गयी |
" मैंने रख लिए !.... भला कब ? " आश्चर्य से सरिता ने पूछा |
" तुम्हारे भैय्या तो बोले थे मेरे ब्याह में यहां से जो सेट मिले थे वे सब आपके पास हैं ... " भाभी ने तमक कर कहा |

" अरे ! वे चारों  सेट तो उधार लाये गए थे दुकान से भैय्या ब्याह के अवसर पर  ...... फिर सुनार को वापस लौटने की बात हुई थी ..... मैंने तो भैय्या को कहा था कुछ दिन बाद भाभी को बता देना ... माँ बाबूजी को भी पता है ... " तमतमाते हुए सरिता ने कहा |

" क्या माँ , बाबूजी ! आपने मुझे इतना गिरा दिया भाभी की नजरों में ..... " और सरिता फूट फूट कर रो पड़ी |


सरिता के माता पिता मौन रहे |

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