उसने
बस यूँ ही कल्पना को फोन किया था | गप्पें
मरने का दिल कर रहा था उससे |
"
सुना तुमने ! सुलभा के पिता का एक्सीडेंट में स्पॉट डेथ हो गया है
? " कल्पना फोन उठाते ही कहा था | वह घबरा गयी थी सुन कर यह खबर |
सुलभा दस वर्ष
पूर्व उसकी सहकर्मी थी | उसका भाई कैंसर के लास्ट स्टेज में था |
" बेटे
के वे अस्पताल में भर्ती कर के लौट रहे थे तभी राह में एक पैदल सवार को बचाने में
उनका स्कूटर डगमगा गया और वे गिर पड़े |
ब्रेन में चोट लग गयी |...हास्पिटल में ले जाने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया
|... आई० सी० यू० से बेटे को पिता के अंतिम दर्शन के लिए
लाया गया तो बेटे के भी प्राण पखेरू उड़ गये | .....कल ही दाह संस्कार हुआ है पिता
पुत्र दोनों का | " कल्पना ने आगे बताया |
वह सन्न थी इस
खबर पर | घर में मात्र माँ और सुलभा | कैसे कट रहे होंगे दिन ?...इसके आगे वह सोंच
नहीं पाई | शाम भारी हो गयी थी उसकी |
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