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बचवन के जिन खाए दे ! ... हम आवत हयीं ..... पहले हम खा लेब तब केहू के दीहे | " ताई सब्जी काट रही थी |
गांव में
पड़ोसी तिवारी जी के घर से बैना ( मिठाई ) आया था | तिवारी जी की बहू शहर से आई थी
|
माँ ने मिठाई
की कुरई ऊपर ताख पर रख दी थी |
माँ ने समझाया
लोग कुछ टोना कर के देते हैं न तो जो पहले खाता
है उस पर ही उस टोने का असर होता है |
आज लग रहा है
क्या दिन थे और क्या बुजुर्ग थे | टोना के अस्तित्व को तो मन मानता नहीं पर
बुजुर्गो के उस त्याग को याद कर आंख आज भी भर आती है |
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