Wednesday, August 21, 2013

बड़े लोग

" माँ जी ! हम लोग तो काम न करें तो चले न ...सबेरे उठ कर मेरा आदमी घर का काम करता है ..बच्चों को तैयार कर स्कूल भेज कर ही साढ़े सात बजे अपने काम पर निकलता है ....और मैं उठ कर सबेरे साढ़े पांच बजे से ही सबके घर झाड़ पोंछ और बर्तन धोने के काम में निकल जाती हूँ ....रात में मेरा आदमी सिलाई का काम करता है और मैं खाना बनाती हूँ अपने घर में .. " शनिवारी अपने रौ में बोलती जा रही थी और डस्टिंग करती जा रही थी | मिसेज वर्मा उसकी बातें बेमन से पीती जा रही थी |

शनिवारी मिसेज वर्मा का काम मन लगा कर करती थी क्यों कि इस घर में माँ जी उसे अपने जैसा ही दोपहर का खाना  परोस कर देती थी | यहीं खाना खा कर वह आराम करती थी फिर इस घर का काम खतम कर दूसरे  घर में काम करने निकल जाती थी |


शनिवारी भगवान को मन ही मन धन्यवाद देती थी कि उसे मिसेज वर्मा जैसी मालकिन मिली |

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