Tuesday, July 16, 2013

मोह स्त्रीधन का

" तुम अपने पापा को बोलो कि हम उपर वाले फ्लैट में रहेंगे | आखिर तुम भी तो हकदार हो घर की | तुम्हारे पापा के न रहने पर घर तो तुम्हें ही मिलेगा |...तुम समझती नहीं हो | ..हम दोनों की तनख्वाह इतनी कम है कि घर का भाड़ा देना मुश्किल हो जाता है | "
सुरुचि का भाई नहीं था | यथाशक्ति बेटी के विवाह में खर्च करने के बाद अपने मकान में पिता अपनी जीवन संध्या काट रहे थे | ऊपर का फ्लैट किराये में दिया गया था |
आये दिन घर में झगड़ा होता था | बेटी की बीमारी का खर्च पिता उठा रहे थे | इसी बीच सुरुचि एक बेटे का माँ बन गयी | सुरुचि की नौकरी तो चलती रही  साथ में  घर के अंदर  झगड़ा भी चलता रहा | सुरुचि के पति की नौकरी भी छुट गयी | परेशान पिता ने बेटी को अपने घर में रख लिया |
आखिर सुरुचि का अपने पति से तलाक हो ही गया |

सुरुचि का पति गाँव चला गया |
  

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