Thursday, July 4, 2013

इंजीनियर दमाद

इन्जीनियर मिश्रा जी ट्रान्सफर हो कर हमारी कालोनी में आये थे |
मिसेज मिश्रा दुबली पतली सांवली चौबीस या पच्चीस वर्षीय बी . ए . पास महिला थी | वह अपने पति से उम्र में पन्द्रह वर्ष छोटी थी | उनके पिता पोस्टमॉस्टर थे |
आ जाती थी वह कभी कभी हमारे घर |
" मेरे पिता की इच्छा  मेरा व्याह इंजीनियर से करने का था | और उन्होंने अपनी इच्छा पूरी कर ली | " बात बात में उनके मुंह से निकल पड़ा |
बड़ी बदनामी थी उस परिवार की | सब नए परिवार जो आते थे वे अपना खाना हीटर पर बनाते थे , पर वह महिला खाना बिल्डिंग के बाहर लकड़ी का चूल्हा जला कर बनाती थी | मैं सोंचती थी कैसा आदमी है इसका | जरा सी शर्म भी नहीं है उसे |
मिसेज मिश्रा  के दो बेटे थे | एक तीन साल का और दूसरा  दो साल का था | दोनों गोल मटोल प्यारे और दुष्ट थे |
" मेरे हसबैंड न मुझ पर बिलकुल विश्वाश करते हैं | वे दूध एक किलो लेते हैं और खुद खड़े हो कर अपने सामने पिलवाते हैं बच्चों को | उनको लगता है मैं बच्चों को दूध न पिला स्वयं ही पी जाउंगी | " मैं चुप थी पर मेरा अंतर्मन रो रहा था |

मिश्रा जी पता नहीं कौन सा पाठ पढ़ा रहे थे अपने बच्चों को |

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