एक
जंगल में एक पेड़ पर एक चिड़िया अपने घोंसले में अपने चूजों के साथ रहती थी |
एक बार जंगल
में आग लग गयी |
" आग !
आग !..." चिल्लाते हुए सब जानवर भागने लगे |
चिड़िया डर कर
अपने घोसले में बैठी रही | उसके बच्चे उड़ नहीं सकते थे |
" माँ
तुम अपनी जान बचाओ |...तुम जिन्दा रहोगी तो तुम्हें और बच्चे मिल जायेंगे | हम अपनी सुरक्षा खुद कर लेंगे | " चूजों ने माँ से कहा |
माँ की ऑंखें
भर आयीं | दुखी मन से वह उड़ गयी |
आग पूरे जंगल
को जलाते जलाते चूजों के घोंसले तक पहुँची तब दोनों ने आग से प्रार्थना की ...
" हे आग
! हम छोटे बच्चे हैं | इस घोंसले में अकेले हैं | हम उड़ नहीं सकते | ....कृपया आप
हमें न जलाइए | "
उन्हें देख आग
को दया आ गयी | उसने उस पेड़ को छोड़ दिया | पूरा जंगल जल चूका था पर वह एक पेड़
हरा भरा था |
कुछ दिन बाद
चिड़िया वापस लौटी तो अपने घोंसले में अपने बच्चों को सही सलामत पा फूली न समायी |
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