Thursday, April 19, 2012

घेराव ( कहानी )

             
१९७३



एक काले रंग की एम्बेसेडर कार ज्यों ही स्कूल के गेट के सामने गुज़री ,दो विद्यार्थी रास्ते के बीचोबीच लेट गए | गाड़ी ने उन्हें हटाने के लिए हार्न बजाया ,पर वे हटे |
एक मिनट में सारे विद्यार्थियों ने कार को घेर लिया |
--- मि०  वर्मा  मुर्दाबाद  !
--- कार से बाहर निकलो !
--- हेडमास्टर से माफी मांगो !
--- मि० वर्मा मुर्दाबाद !
विद्यार्थियों के नारे गूंजने लगे | मि० वर्मा का चेहरा अपमान से सिंदूरी हो गया | कार के अंदर से वे चिल्लाये
--- ए क्या है ? हूँ .....क्यों हल्ला मचा रहे हो ?....हटो सामने से हटो ..हटो !
--- अबे कार से बाहर निकल !
--- अबे ! कार से बाहर निकल !
--- कार से बाहर निकलो !
--- कार से बाहर निकलो !
माहौल गरम हो उठा |
--- तुमलोग चाहते क्या हो ?...व्हाट इज दिस नानसेंस ?.....मि० वर्मा अवाक हो कर बोले |
कोई बोल उठा --
---ओह हो ! ....तो यही हैं ट्रांसपोर्ट आफीसर !
--- हाँ हाँ !  इन्हीं के अन्डर में गाड़ी वैगरह है |
भीड़ की गरमी बढ़ गयी |
--- साला कार  से बाहर निकलता है कि नहीं |
--- हेडमास्टर से माफी मांग बे !
मि० वर्मा क्रोध में आकर कार से उतर पड़े |
--- तुमलोग क्या शोरगुल मचा रहे हो ?..तुम्हें शर्म आनी चाहिए !..माफी किस बात की ?
--- आप हमलोगों की फूटबाल टीम जाने के लिए गाड़ी नहीं दिए थे | .....गाड़ी क्या आपके ससुर की है ?....जब हमारे हेडमास्टर ने गाड़ी माँगी तो आपने क्यों नहीं दिया ?....आप हमारे हेडमास्टर को क्यों डांटे ? आपको माफी मांग कर ही जाना होगा |...एक विद्यार्थी गरजा |
---ओह हो ! उस दिन की बात ! ....उस दिन तो कोई गाड़ी थी ही नहीं .....और वो तो हमारा और उनका पर्सनल मैटर है ...हम आपस में बात कर लेंगे |......मि० वर्मा ने नम्रता का मक्खन लगाते हुए कहा |
--- नहीं !  नहीं ! ....हमलोग कुछ नहीं जानते | माफी आपको मांगनी ही पड़ेगी |....हमारे हेडमास्टर  का अपमान करने का आप साहस कैसे कर सके |
   विद्यार्थियों की भीड़ मि० वर्मा को  घेराव कर के हेडमास्टर के आफिस तक खींच लायी | टिफिन का समय था | हेमास्टर घर में खाना खा रहे थे | चपरासी दौड़ा- दौड़ा पहुंचा | बेचारे हेडमास्टर का कौर कंठ में अटक गया | किसी तरह पानी पी कर स्कूल पहुंचे | वहाँ का दृश्य देख कर वे भौंचक्के रह गए | इस घटना के घटित होने की गंध उन्हें सुबह ही थोड़ी थोड़ी लगी थी पर सब कुछ इतने जल्दी हो जाएगा ...यह बात उनकी कल्पना शक्ति के बाहर की बात थी |
वे क्रुद्ध हो गए |
--- ये क्या भीड़ लगा रखे हो तुमलोग ?....हटो ...जाओ यहाँ से |
--- नहीं सर ! हमलोग मि० वर्मा से माफी मंगवा कर ही छोड़ेंगे | वे आपका अपमान क्यों किये ?
---वो तो ठीक है | पर वह मेरा और मि० वर्मा का आपसी मामला है | हमलोग आपस में बात कर लेंगे |
--- नहीं नहीं सर ! ...हमलोग उनको ऐसे नहीं छोड़ेंगे | उनको माफी मांगनी ही पड़ेगी |
हेडमास्टर समझ गए कि इन्हें उकसाया गया है | अब ये माननेवाले नहीं | आखिर हार कर वे मि० वर्मा से बोले -----
--- चलिए मेरे कमरे में बैठिये |......ये लोग तो अब टलेंगे नहीं |
मि० वर्मा को हार कर विद्यालय के आफिस में जाना ही पड़ा |
विद्यार्थी चीखे |
--- माफी हमलोगों के सामने मांगनी पड़ेगी |
--- माफी हमलोगों के सामने मांगनी पड़ेगी |
बोस सर ने हाथ ऊपर उठाया | सारे बच्चे शांत हो गए | वे बोले --
--- देखो सब विद्यार्थी  तो एकसाथ आफिस में नहीं जा सकते हैं ; इसलिए तीन विद्यार्थी तुम्हारे प्रतिनिधि बन कर जायेंगे |...मंजूर ?
--- मंजूर ....मंजूर |
खैर तीन विद्यार्थी ग्यारहवीं कक्षा के चुने गए | उन्हें अंदर आफिस में भेजा गया | बाकी विद्यार्थी बाहर खड़े रहे | सब में खूब गर्मागर्मी रही | उन्हें तो मजा रहा था |
प्रतिनिधि बोल उठे ---
--- हूँ अब माफी मांगिये |
--- माफी क्यों मांगू ?
--- अरे वाह ! आप माफी मांगने के लिए तो आये हैं |
मि० वर्मा चुप | चहरे का रंग लाल | प्रतिनिधियों ने विद्यार्थियों की ओर इशारा किया | वे चीख पड़े |
--- मि० वर्मा माफी मांगो !
--- मि० वर्मा माफी मांगो !
--- वर्मा मुर्दाबाद !
हेडमास्टर क्रुद्ध हो कर बाहर निकले | मि० बोस को बच्चों को शांत करने के लिए कहे |
--- बच्चो ! तुमलोग हल्ला मत करो | ....शांत हो जाओ |.....हल्ला क्यों कर रहे हो ?....ये ..नानसेंस ...-----मि० बोस ने डाँटते हुए आँख मारा |
विद्यार्थी और जोर जोर से नारे लगाने लगे | अंदर बैठे मि० वर्मा पसीने पसीने हो गए |
--- ठीक है भाई ! अगर तुमलोग ऐसा सोंचते हो कि मैंने उस दिन तुम्हारे हेडमास्टर का अपमान किया है , तो मैं उनसे माफी मांगता हूँ | असल में मैंने उनका अपमान नहीं किया था | --- मि० वर्मा ने अटकते कंठ से कहा |
--- खैर वो सब तो हम जानते ही हैं , पर यह असल वसल वाला किस्सा यहाँ नहीं चलेगा | आप सीधे से माफी मांगिये |
 
मि० वर्मा ने क्षमा याचना भरी आँखों से हेडमास्टर की ओर देखा |मानो वे कह रही हों कि इतना तो जलील करवाओ |
 
हेडमास्टर तो दो नदियों के पुल बने खामोश बैठे थे |
--- अच्छा भाई ! ... मैं हेडमास्टर से माफी मांगता हूँ |---मि० वर्मा के हताश कंठ से निकला |
--- अब हमलोगों से भी माफी मांगिये | हेडमास्टर का अपमान हमारा भी तो अपमान है |
---- अच्छा अच्छा ! अब जाओ तुमलोग |.....क्रोध में बोल उठे हेडमास्टर |
   प्रतिनिधियों को जहाँ तक सिखाया गया था , वहाँ तक काम हो गया था | अत: वे निकल गए | टिफिन की घंटी बजा दी गयी | सभी विद्यार्थी अपनी अपनी कक्षा में घुस गए | पूरे स्कूल में एक मिनट में नीरवता छा गयी ,मानो कुछ हुआ ही नहीं |
मि० वर्मा अपनी कार में बैठ कर चले गए |
पूरी कालोनी में इस बात की चर्चा जोर शोर से रही |
--- कालोनी से शहर तक का आवागमन  भी तो नहीं है कोई ठीक |
--- आजकल स्टूडेंट अनरेस्ट बहुत हो गया है |
--- भला बताइये ! यह भी कोई तरीका है किसी आफिसर की कर रोक कर उसका घेराव किया जाय और उसे जलील किया जाय |
---  अरे ! हेडमास्टर ही उकसाया होगा !
--- नहीं नहीं ! वो तो बड़ा सीधा सदा है | इस बार की ग्यारहवीं कक्षा का बैच बड़ा दुष्ट है |
--- असल बात बताऊँ मि० बोस ही उकसाया होगा |  मि० वर्मा से वो बहुत चिढता है |
---  हो सकता है ! पर आजकल जनरली विद्यार्थी बड़े उदंड हैं | मेरे तो अभी छोटे छोटे हैं बड़े हो कर पता नहीं क्या निकालेंगे |

    




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