Saturday, April 21, 2012

पालीथीन का बैग ( लघु कथा )

-- सब्जी ! सब्जी!
दूर से सब्जीवाले की आवाज सुनायी दे रही थी |
हमारा गेट उसने खटखटाया |
--- नहीं चाहिए सब्जी |
वो आगे बढ़ ही रहा था कि एक कार कर रुकी |
--- ताजी सब्जी है !
--- हाँ माजी ! आप देखिये |
इतनी चिलचिलाती धुप में कौन उतरता कार से | वह तो ए० सी० कार का शीशा थोड़ा नीचे की थी |
--- ठीक है | आधा आधा किलो हर तरह की सब्जी दे दो |
--- अरे रे ! एक पालीथीन के बैग में सब मत डालना | चुन कार अलग करने में मुश्किल होती है | हर सब्जी अलग अलग पालीथीन में डालना |
--- अरे माँ जी ! एक एक पालीथीन का दाम एक रूपया है |
--- तो क्या हुआ | मैं खाली करके गेट के सामने रख दूंगी | तुम ले जाना |
सब्जीवाले ने सब्जी अलग अलग पालीथीन में वजन कार के डाला और पकड़ा दिया कार में श्रीमती जी को |
--- कितने हुए ! जल्दी बोलो कितनी गर्मी है |
--- १८० रुपये |
--- हाँ !
सौ सौ के दो नोट पकड कर वह चिल्लर लाने मुड़ा |
-- अरे जल्दी ! कितनी गरमी है उफ़ !
बीस रुपये मिलते ही कार चल पड़ी |

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